श्री यतीन्द्रसूरीश्वर जी - जीवन परिचय
वि. सं. 1940 के कार्तिक सुदी 2 भाई दूज के पवित्र दिन धवलपुर (राज.) में सेठ श्री ब्रजलाल जी की धर्मपत्नी सुश्राविका चम्पा बाई ने बालक रत्न को जन्म दिया नामकरण हुआ - ' राम रत्न '
दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेंद्र सूरीश्वर म.सा. के वरद हस्त से वि. सं. 1954 आषाढ़ वदी 2 को खाचरौद (म.प्र.) में राम रत्न की भगवती दीक्षा होकर नूतन नाम हुआ - मुनि
श्री यतीन्द्रविजय जी म.सा. | दादा गुरुदेव ने आपको आहोर (राज. ) में सं. 1955 माघ सुदी ५ को बृहद दीक्षा प्रदान की |
बागरा (राज.) देव श्रीमद्विजय धनचंद्र सूरीश्वर जी म.सा. ने आपकी प्रवचन शैली से प्रसन्न होकर आपको व्याख्यान वाचस्पति विशेषण से सम्मानित किया |
पूज्यपाद दादा गुरुदेव श्री ने अपने अंतिम समय में भी भूपेंद्र सूरीश्वर जी म.सा. एवं आपको अभिधान राजेंद्र कोष के सम्पादन सौंपा था | जिसे आपने अपने सहवर्ती
मुनिराज श्री पूर्ण किया | अभिधान राजेंद्र कोष का सम्पादन कार्य कर आपश्री ने गुरुदेव श्री के चरणों अपनी अनमोल भेट स्वरूप श्रद्धा अर्पित कर 'परमकृपा ' प्राप्त की जो आपके अनेक शासन प्रभावना के लिए प्रबल प्रबल संबल बनी |
जावरा (म.प्र.) में तृतीय पट्टधर आचार्य देव श्री भूपेंद्र सूरीश्वर जी म.सा. के आचार्य पदवी के समय आपको उपाध्याय पद प्रदान किया गया |
तृतीय पट्टधर श्री के स्वर्गावास के पश्चात् सकल चतुर्विध संघ ने सूरीपद सुशोभित करने का निर्णय किया | वि.सं. 1995 की वैशाख सुदी 10 को आहोर (राज.) में आपको
आचार्य पद तथा मुनिश्री गुलाबविजय जी को उपाध्याय पद प्रदान किया गया |
सं. 1979 के रतलाम चातुर्मास में आपको रतलाम नरेश द्वारा 'पीताम्बर-विजेता' उपाधि से अलंकृत किया गया |
मोहनखेड़ा -तालनपुर -लक्ष्मणी -भांडवपुर आदि तीर्थ जीर्णोद्धार की प्रेरणा प्रदान कर आप तीर्थोद्धारक बने |
अनेक भाविकों को वीतराग-वाणी का पान सरल -शैली करवाकर आप 'व्याख्यान वाचस्पति ' बने |
40 से अधिक प्रतिष्ठांजन शलाका , 55 से अधिक मुमुक्षुओं को संयमदान , छ:रिपालित संघ , उपधान , लघु संघयात्राए , आदि आप श्री के सुसानिध्य ने संपन्न हुए |
मुनिश्री वल्लभ विजय जी , मुनि श्री विद्याविजय जी (बाद के आचार्य ) आदि 18 शिष्य हुए |
आप गुरु गुणानुराग कुलक , सत्यबोध भास्कर , त्रिस्तुतिक मत की प्राचीनता , मेरी गौडवाड़ यात्रा , मेरी निमाड़ यात्रा , समाधान प्रदीप , सत्य समर्थक प्रश्नोत्तरी , जीवनप्रभा ,
यतीन्द्र प्रवचन , श्री राजेंद्र सूरी अष्टप्रकारी पूजा आदि 61 से अधिक ग्रंथों के लेखक -सम्पादक -रचनाकार है |
गुरु पुण्यभूमि मोहनखेड़ा की धर्मधरा से पौष सुदी 3 , सं. 2017 को आपने इस लोक से महाप्रयाण किया | मोहनखेड़ा धरा पर आपका अग्निसंस्कार हुआ |
दादा गुरुदेव के पश्चात इस पुण्यभूमि पर आप श्री प्रथम आचार्य थे जिनका समाधि मंदिर यहाँ बना है |