श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन गुरुकुल
आचार्य देव श्री यतीन्द्र सुरिश्वरजी म.सा. की अभीप्सा थी की समाज के बच्चों हेतु शिक्षण की अच्छी व्यवस्था हो तथा उनको लोकिक शिक्षा के साथ धार्मिक शिक्षा भी दि जाये | वि.सं. २०१२ की ज्येष्ठ पूर्णिमा को लगभग
१८ वर्षो के पश्चात् श्री यतीन्द्र सुरिश्वरजी म.सा. मोहनखेड़ा पधारे | उस समय लगभग चार हजार श्रावक उनकी आगवानी व प्रवचन का लाभ लेने के लिए यहाँ आये थे | गुरुदेव के उपदेश से प्रेरित हो तत्काल एक गुरुकुल
प्रारंभ करने का निश्चय कर राजगढ़ नगर में एक गुरुकुल की स्थापना की गई | मगर बाद में गुरुकुल को मोहनखेड़ा तीर्थ में ही स्थापित करने के मंतव्य से इसे बंद कर दिया | दुर्भाग्यवश सं. २०१७ में पूज्य गुरुदेव का स्वर्गवास
हो गया एवं उनका स्वप्न अधुरा रह गया | गुरुदेव की इस इच्छा को उनके पट्टान्लकार श्री विद्याचन्द्र सूरीश्वरजी म.सा.ने साकार किया और श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में संवत २०३५ की ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी दि. ३१ मई १९७९ को श्री
आदिनाथ राजेन्द्र जैन गुरुकुल की स्थापना की गई | गुरुकुल के बच्चों का लोकिक अध्ययन राजगढ़ के शासकीय विद्यालय में होता था | प्रारंभ में इस गुरुकुल में केवल छठवी से आठवी तक के बच्चों को प्रवेश दिया जाता
था मगर वर्तमान में कक्षा दस तक के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है |
नियमित दिनचर्या ,धार्मिक शिक्षण ,देवदर्शन व जैन मान्यताओ का देनिक जीवन में पालन आदि इस गुरुकुल की विशेषताए है | गुरुगच्छ की शोभा बढाने वाले पूज्य मुनि प्रवर श्री जिनेन्द्रविजयजी म.सा. ,श्री पियूषचन्द्र
विजयजी म.सा. , श्री दिव्यचन्द्र विजयजी म.सा. ,श्री राजतचन्द्र विजयजी म.सा. इसी गोरवशाली गुरुकुल के विद्यार्थी रहे है | प्रारंभ में यह गुरुकुल एक अन्य भवन में चलता था ,मगर बाद में इसे सुविधा जनक बनाने हेतु श्री
मोहनविहार में स्थानांतरित किया गया | गुरुकुल भवन विविध सुविधाओ से युक्त है | तीर्थ की भोजनशाला में ही बच्चों के लिए नोकारसी एवं भोजन की व्यवस्था है | दोपहर को नाश्ता व सूर्यास्त पूर्व दूध गुरुकुल में ही दिया जाता है |
धार्मिक शिक्षण हेतु प्रथक से शिक्षक की नियुक्ति की गयी है | बच्चों को वर्ष में एक या दो बार धार्मिक एवं एतिहासिक स्थलों पर भ्रमण हेतु ले जाते है | गुरुकुल में आवास ,भोजन व शिक्षण हेतु विद्यार्थियों से रु. १५०/-
मासिक शुल्क लिया जाता है | निर्धन परिवार के बच्चों को कुछ छुट भी दि जाती है | शेष व्यय ट्रस्ट द्वारा वाहन किया जाता है | दानदाता श्रावकगण रु. ६०००/- दान दे कर एक विद्यार्थी के एक वर्ष का व्यय वाहन करने
का लाभ ले सकते है |
गुरुकुल हेतु एक नये व अधिक सुविधाजनक भवन निर्माणाधीन है | इस हेतु कार्तिक सुदी १३ संवत २०६० दि. ६ नवम्बर २००३ को भूमि पूजन कार्यक्रम तपस्वी मुनिराज श्री जयशेखर विजयजी म.सा. व इसके प्रेरक
ज्योतिष सम्राट मुनिराज श्री ऋषभचन्द्र विजयजी म.सा. की निश्रा में किया गया | इस भवन का निर्माण भीनमाल निवासी शा. दलिचंदजी फूलचंदजी तातेड परिवार के विशिष्ठ सहयोग से निर्मित किया जा रहा है |